आपको बताते हैं अपराजिता ( Apraajita ) के पौधे के बारे में कुछ खास जानकारी | नवरात्री आने वाली है और ये देवी का प्रिय पुष्प है| ये मुख्यतः दो रंगो में पाए जाते हैं: नीला और सफेद| दिखने में बहुत ही आकर्षक होते हैं| इसे घरों और बगीचों में शोभा के लिए लगाया जाता है|
Apraajita (अपराजिता) विभिन्न नाम
इसके अन्य नाम आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा, शंखपुष्पी भी है|
Apraajita (अपराजिता) धार्मिक महत्त्व
ये फूल काली पूजन, शिव पूजन और शनि देव के पूजन में विशेष रूप से प्रयोग होता है|
ये फूल भगवान् विष्णु को भी प्रिय हैं|
इसे विष्णुकांता के नाम से भी जाना जाता है|
दशहरे के दिन अपराजिता पूजा का विधान है जिसमें देवी को अपराजिता के फूल चढ़ाए जाते हैं|
विजयदशमी के दिन देवी के पूजन के बाद अपराजिता के बेल को हाथ में बांधने का भी विधान है|
बेल हाथ में बांधने से कहा जाता है की जीवन में देवी हमेशा हमारी विजय निश्चित करती है|
वास्तु महत्त्व
इसे घर में लगाने से धनलक्ष्मी की वृद्धि होती है|
सफेद अपराजिता माता लक्ष्मी को विशेष रूप से आकर्षित करती है|
औषधीय गुण
इसके पत्तों को पीस कर मेहंदी के साथ मिला कर लगाने से बालों को मजबूती मिलती है|
अस्थमा से राहत दिलाती है|
इसके बीज कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं|
यह मधुमेह को भी नियंत्रित कर सकती है|
इसके प्रयोग से आँखों की रोशनी भी बढ़ती है|
चहरे के झाईंयों को दूर करती है|
यह घावों के दर्द को कम करने और जल्दी भरने में मदद करती है|
इसके जड़ के चूर्ण से गठिया का इलाज किया जाता है|
इसका प्रयोग हाथीपांव के उपचार में भी किया जाता है|
मूत्र से सम्बंधित रोगों में भी मददगार होता है|
पीलिया रोग में भी इसका सेवन लाभप्रद होता है|
पेट में गैस और दर्द की समस्या से भी निजात दिलाती है|
खराब गले को ठीक करने में इसका काढ़ा उपयोगी है|